Thursday, March 18, 2010

बहती नदिया...

सोच रहा हूँ बहती नदिया क्या-क्या मुझसे कहती है,
कहती है मुझसे बहना है इसीलिए बस बहती है,

ऊंच नीच सब भेद मिटाती क्या पर्वत क्या सागर
कहीं डूबा दो हस्ती अपनी कहीं डूबा दो गागर,
जो भी चाहे उसकी बस ये प्यास बुझाती रहती है,
कहती है मुझसे बहना है इसीलिए बस बहती है॥

सौभाग्य - वरण वो ही करता जिसने है चलना सीखा,
कंटक पथ पर तूफानों से जिसने है लड़ना सीखा
धीरज से चलो निरंत्तर बस वो यही सिखाती रहती है,
कहती है मुझसे बहना है इसीलिए बस बहती है....

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